Saturday, December 13, 2014

धुंधकारी को प्रेतयोनि की प्राप्ति (Dhundkari became ghost)

समय बीतने पर गौकर्ण और धुंधकारी युवावस्था को प्राप्त हुए। गौकर्ण पण्डित, विद्वान, ज्ञानी और माता-पिता की सेवा करने वाला बना और धुंधकारी दुष्ट, हत्यारा, चोर तथा व्यभिचारी। धुंधकारी ने अपने माता-पिता की सारी सम्पत्ति मद्यपान और वेश्यागमन में लुटा दिया। धन समाप्त हो जाने पर वह और धन की प्राप्ति के लिए माता-पिता को असह्य यातना देने लगा। गौकर्ण ने धुंधकारी को तरह-तरह से समझाया किन्तु धुंधकारी को कुछ भी समझ नहीं आया। उसकी यातना से तंग आकर पिता ने वैराग्य धारण करके वन का रास्ता लिया और माता ने आत्महत्या कर ली। गौकर्ण भी तीर्थयात्रा के लिए चला गया।

इस प्रकार धुंधकारी को नियंत्रित करने वाला कोई भी न रहा और वह स्वतंत्र होकर मनमानी करने लगा। धन प्राप्त करने के लिए वह चोरी-डकैती करने लगा। चोरी-डकैती से प्राप्त धन को वह अपने वेश्या मित्रों के पास रखा करता था। जब वेश्याओं के पास धुंधकारी का बहुत सारा धन एकत्रित हो गया तो उन वेश्याओं ने षड़यंत्र करके धुंधकारी की हत्या कर दी।

इस प्रकार धुंधकारी प्रेतयोनि को प्राप्त हुआ।

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