Tuesday, July 31, 2007

मेरी पसंद की कुछ काव्य रचनाएँ

अपने कम्प्यूटर को फॉर्मेट करते समय गलती से मेरी महाभारत संबंधी सामग्री भी मिट गई इसलिये कुछ समय के लिये मैं महाभारत को मुल्तवी कर रहा हूँ। ज्योंही महाभारत संबंधी लेखों को मैं फिर से पूरा करूँगा, आपकी सेवा में हाजिर कर दूँगा। तब तक के लिये मैं अपनी पसंद की काव्य रचनाओं से आपको अवगत कराता हूँ।

हरि हरसे हरि देखकर, हरि बैठे हरि पास।
या हरि हरि से जा मिले, वा हरि भये उदास॥

(अज्ञात)

उपरोक्त दोहा केवल दोहा ही नहीं है बल्कि यमक अलंकार का एक विशिष्ट उदाहरण भी हैं। इस दोहे में हरि शब्द के हर बार अलग अर्थ हैं, पूरे दोहे का अर्थ हैः

मेढक (हरि) को देखकर सर्प (हरि) हर्षित हो गया (क्योंकि उसे अपना भोजन दिख गया था)। वह मेढक (हरि) समुद्र (हरि) के पास बैठा था। (सर्प को अपने पास आते देखकर) मेढक (हरि) समुद्र (हरि) में कूद गया। (मेढक के समुद्र में कूद जाने से या भोजन न मिल पाने के कारण) सर्प (हरि) उदास हो गया।

भभूत लगावत शंकर को, अहिलोचन मध्य परौ झरि कै।
अहि की फुँफकार लगी शशि को, तब अंमृत बूंद गिरौ चिरि कै।
तेहि ठौर रहे मृगराज तुचाधर, गर्जत भे वे चले उठि कै।
सुरभी-सुत वाहन भाग चले, तब गौरि हँसीं मुख आँचल दै॥

(अज्ञात)

अर्थात् (प्रातः स्नान के पश्चात्) पार्वती जी भगवान शंकर के मस्तक पर भभूत लगा रही थीं तब थोड़ा सा भभूत झड़ कर शिव जी के वक्ष पर लिपटे हुये साँप की आँखों में गिरा। (आँख में भभूत गिरने से साँप फुँफकारा और उसकी) फुँफकार शंकर जी के माथे पर स्थित चन्द्रमा को लगी (जिसके कारण चन्द्रमा काँप गया तथा उसके काँपने के कारण उसके भीतर से) अमृत की बूँद छलक कर गिरी। वहाँ पर (शंकर जी की आसनी) जो मृगछाला थी वह (अमृत बूंद के प्रताप से जीवित होकर) उठ कर गर्जना करते हुये चलने लगा। सिंह की गर्जना सुनकर गाय का पुत्र - बैल, जो शिव जी का वाहन है, भागने लगा तब गौरी जी मुँह में आँचल रख कर हँसने लगीं मानो शिव जी से प्रतिहास कर रही हों कि देखो मेरे वाहन (पार्वती का एक रूप दुर्गा का है तथा दुर्गा का वाहन सिंह है) से डर कर आपका वाहन कैसे भाग रहा है।

7 comments:

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...
This comment has been removed by the author.
निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर कहानी है आभार्

Anonymous said...

Waw

Unknown said...

Kripya aap or bhi katha likhe

Unknown said...

कृपया कथा आगे बढ़ाते,लिखते रहें। बहुत सुन्दर लेखन शैली है।

Unknown said...

बहुत सुन्दर कहानी है।

mohan nakka said...

Bahot khoob acch laga adhkar